हम वो भंवरे नही जो चखने मय निकले,
उन आंखों से पीते हैं जिन आंखों पे दम निकले
कभी तो नजर को फेर हमें देख ले जालिम,
कभी तो उन आंखों से नोश-ए-रहम निकले
हंसता है ये जमाना हमारी इस वहशत पे,
बेपर्वाह हैं हम जो वो ऐसे बे-शरम निकले
Friday, November 10, 2006
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